Saturday, December 20, 2008

पुरुषसूक्तम्-९

तस्माद्यज्ञात्सर्वहुत ऋचः सामानि जज्ञिरे। छंदांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत॥९॥

सर्वहुतस्तस्मात्पूर्वोक्ताद्यज्ञादृचः सामानि जज्ञिरे। उत्पन्नाः। तस्माद्यज्ञाच्छंदांसि गायत्र्यादीनि जज्ञिरे। तस्माद्यज्ञाद्यजुरप्यजायत।

उस सर्वहुत् यज्ञ से ऋग्वेद की ऋचाओं और सामवेद के मन्त्रों का जन्म हुआ। उस यज्ञ से गायत्रि आदि छन्दों का जन्म हुआ। उस यज्ञ से यजुर्वेद का भी जन्म हुआ।
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