Saturday, December 27, 2008

पुरुषसूक्तम्-१३

चंद्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत। मुखादिंद्रश्चाग्निश्च प्राणाद्वायुरजायत॥१३॥

यथा दध्याज्यादिद्रव्याणि गवादयः पशव ऋगादिवेदा ब्राह्मणादयो मनुष्याश्च तस्मादुत्पन्ना एवं चंद्रादयो देवा अपि तस्मादेवोत्पन्ना इत्याह। प्रजापतेर्मनसः सकाशाच्चंद्रमा जातः। चक्षोश्च चक्षुषः सूर्योऽप्यजायत। अस्य मुखादिंद्रश्चाग्निश्च देवावुत्पन्नौ। अस्य प्राणाद्वायुरजायत।

जिस प्रकार दधि, घृत आदि द्रव्य, गौ आदि पशु, ऋक् आदि वेद और ब्राह्मण आदि मनुष्य उस (प्रजापति) से उत्पन्न हुए, वैसे ही चन्द्रमा आदि देवता भी उस (प्रजापति) से ही उत्पन्न हुए। प्रजापति के मन से चन्द्रमा का जन्म हुआ। उनकी आँख से सूर्य का जन्म हुआ। मुख से इन्द्र और अग्नि, यह दो देवता उत्पन्न हुए। प्राण से वायु का जन्म हुआ।
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